Description
जन मन को लगता प्यारा
बरसात का मौसम सुहाना
चारों और हरियाली फ़ैली
और फूल का बगिचे में खिलना
छायावादी कविताओं जैसे अनुभूती नहीं है । मन में देश धरती के प्रति अथाह आस्था से उनका कविमन व्याकुल हो जाता है । निसर्गसंपदाको दर मिनार कर के वे देशभक्ती की गूंज में संमोहित हो कर कहते है ।
नौजवानों जाग उठो तुम
तुम्हे बनना है देश के सिपाही
आतंक को जड़से उखाड़े
कसम हमने पहले ही खायी
राष्ट्रभक्ती से सरोबार इन कविताओं में जीवन के अनेक पहलुओंपर भी रोचक टिप्पणियां भी है ।
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