Description
युद्ध में लापता सैनिकों की ढाई सौ साल बाद उनकी सही पहचान करानेवाला संसार का यह इसी प्रकार का एकमात्र उपयोजित अनुसंधान कार्य है । देशी मुगल बादशाह की सुरक्षा के लिए विदेशी अहमदशाह अब्दाली से टकरानेवाले 1761 ई के पानीपत के तीसरे युद्ध में हजारों की संख्या में बलिदान करनेवाले वीर मराठों का यह इतिहास है । हारकर भी मराठों ने युद्ध के उद्देश्य प्राप्त करने में सफलता पायी । अब्दाली ने फिर कभी हिंदुस्थान पर हमला नहीं किया । राष्ट्रीयता और धार्मिक एकता के लिए प्रेरणा देनेवाला यह आदर्श उदाहरण है ।
युद्धोपरांत विषम परिस्थितिर्योंवश विवश होकर ढाक के जंगल में पनाह लिए, सुरक्षा हेतु पहचान छिपाने के लिए रोड समाज कहकर, अपनी मुख्य मराठा धारा से कटकर ढाई सौ वर्ष अज्ञातवास में रहनेवाले, बहादुर वीर मराठों का यह उज्ज्वल इतिहास है ।
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