एकलव्य, शंबुक आणि झलकारीबाई

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पुस्तकाचे नाव एकलव्य, शंबुक आणि झलकारीबाई
लेखक आ . ह . साळुंखे
भाषा मराठी
पुस्तक बांधणी पेपरबॅक
पानांची संख्या ४८
आकार ५.५ * ८.५ इंच
वजन ७० ग्रॅम

Description

वीरांगना झलकारीबाई का संक्षिप्त जीवन परिचय.

जन्मस्थान – 22 नवम्बर सन 1830, ग्राम – भोजला, जि. – झाँसी (उ. प्र.)

माता – श्रीमती यमुना देवी (कोरी परिवार)

पिता – श्री सिद्ध कोरी (संत कबीर के सच्चे अनुयायी) गृह कार्य- कपडे वूनना

पती – श्री पुरन कोरी (झाँसी के गंगाधर राव कि सेना में एक साहसी वीर सिपाही )

शपथ – अंग्रेजों के आधीन झाँसी जब तक आजाद नही होगी तब तक माथे पार सिन्दूर नही लगाऊंगी

प्रथम युद्ध – 04 जून 1857 को शुरू हुआ, 1867 को झाँसी अंग्रेजों से मुक्त हो गयी झाँसी नौ माह तेरह दिन तक स्वतंत्र रही ।

दुसरा युद्ध – 20 मार्च सन 1858 को अंग्रेजों द्वारा झाँसी को घेर लेना ।

23 मार्च सन 1858 को झाँसी पर आक्रमण, दस दिन तक घमाशान युद्ध

दिनांक 04एप्रिल सन 1858 कि रात रानी लक्ष्मीबाई को जीवित बचाने के लिये एक योजना के तहत झलकारी ने अपने कपडे रानी लक्ष्मीबाई को किले से बाहर निकाल दिया । तथा स्वयं झलकारीबाई ने रानी का रोल कर अंग्रेजों से युद्ध के लिये तैयार हुई

शहीद – 05 एप्रिल सन 1858 को रानी झलकारीबाई ने अंग्रेजों से युद्ध करते, पति पुरन कोरी कर साथ शहीद हुई ।

”खूब लडी मर्दानी थी, वह तो झाँसी कि झलकारी थी ”

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